माननीय राज्यपाल श्री सी०पी० राधाकृष्णन ने आज विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी को संबोधित करते हुए कहा
माननीय राज्यपाल श्री सी०पी० राधाकृष्णन ने आज विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी को संबोधित करते हुए कहा
राज्यपाल महोदय ने कहा कि विश्व के प्रत्येक धर्म का एक ही उद्देश्य है मानवता की भलाई करना एवं किसी के साथ अन्याय नहीं करना
पूनम की रिपोर्ट माननीय राज्यपाल श्री सी०पी० राधाकृष्णन ने आज विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी, शाखा : राँची एवं डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची के संयुक्त तत्वावधान में डॉ.श्यामाप्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, राँची ‘विश्व बंधुत्व दिवस’ के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि महान व्यक्तित्व, आध्यात्मिक प्रणेता व युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानन्द जी का विश्व बन्धुत्व का संदेश हमेशा प्रासंगिक एवं प्रभावी रहेंगे। उनके संदेश में एक तरफ देशभक्ति की भावना निहित है तो दूसरी तरफ “वसुधैव कुटुंबकम” की अवधारणा निहित है। एकता एवं सार्वभौमिक भाईचारे का यह दर्शन सदियों से मार्गदर्शक का कार्य किया है और इसने भारतीय संस्कृति और सभ्यता को महत्वपूर्ण दिशा प्रदान की है। यह दर्शन इस विचार पर आधारित है कि प्रत्येक व्यक्ति एक बड़े वैश्विक परिवार का सदस्य है। यह दर्शन इस विचार पर आधारित है कि प्रत्येक व्यक्ति एक बड़े वैश्विक परिवार का सदस्य है।
राज्यपाल महोदय ने कहा कि हमें ऐसे महान व्यक्तित्व कम मिलते हैं जो अपनी राष्ट्रीय पहचान पर गर्व करने के साथ ही, पूरे विश्व के मानव जाति के लिए सार्वभौमिक चिंता रखते हों। उनका दृष्टिकोण, विचार एवं योगदान राष्ट्र व मानवता की प्रगति के लिए समान रूप से दिखाई देता हो। भारत के द्वारा मानवता के प्रति किए जाने वाले कार्य का उदाहरण कोरोना के समय देखने को मिला जब माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा कोविड महामारी के समय न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी नि:शुल्क टीका उपलब्ध कराया गया।
राज्यपाल महोदय ने कहा कि विश्व के प्रत्येक धर्म का एक ही उद्देश्य है मानवता की भलाई करना एवं किसी के साथ अन्याय नहीं करना। यदि किसी के साथ अन्याय होता है तो अन्य लोगों का कर्तव्य है कि अन्याय के विरुद्ध पीड़ित व्यक्ति के साथ खड़ा हों। कन्याकुमारी स्थित स्वामी विवेकानन्द मेमोरियल हमें शांति, सद्भाव और विश्व बंधुत्व का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि सभी के लिए जाति, धर्म, संप्रदाय, भाषा इत्यादि से देश का स्थान सर्वोपरि है और मातृभूमि की रक्षा करना सबका परम कर्तव्य है।
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