यूपी की सियासत में ‘मिल्कीपुर’सीट से तय होगा भविष्य का गणित, बीजेपी-सपा दोनों के सामने है ये चुनौती
यूपी की सियासत में ‘मिल्कीपुर’सीट से तय होगा भविष्य का गणित, बीजेपी-सपा दोनों के सामने है ये चुनौती
मिल्कीपुर सुरक्षित सीट है. इस उप चुनाव का एक बड़ा राजनैतिक संकेत भी जुड़ा है. अखिलेश यादव खुद कह चुके हैं कि ये देश का चुनाव है.
पूनम की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर सीट पर वोटिंग शुरू हो गई है. वैसे तो विधानसभा की इसी एक सीट पर उप चुनाव हो रहा है पर इसे जीतने के लिए योगी आदित्यनाथ और अखिलेश ने आर पार की ठनी है. दोनों नेताओं ने एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया है. इस चुनाव के नतीजे का यूपी चुनाव पर असर हो सकता है. साल 2027 में यूपी में विधानसभा चुनाव होने थे. दस सालों से सत्ता से बाहर समाजवादी पार्टी वापसी के लिए बेताब है जबकि बीजेपी फैजाबाद की हार का बदला लेने उतरी है.
तीन दिन से सपा का वॉर रूम है एक्टिव
मिल्कीपुर चुनाव को लेकर पिछले तीन दिनों से समाजवादी पार्टी का वॉर रूम एक्टिव है. चुनाव आयेगा से लगातार शिकायतें की जा रही हैं. अखिलेश यादव के करीबी नेता उदयवीर सिंह आरोप लगाते हैं कि फर्जी मतदान कराया जा रहा है. उनके वोटरों को वोट डालने से रोका जा रहा है. समाजवादी पार्टी ने कई मोबाइल नंबर और व्हाट्सएप नंबर जारी किए है. अपील की गई है कि चुनाव में गड़बड़ी होने पर इन पर संपर्क करें. फोटो और वीडियो बना कर भेजें. पार्टी की तरफ से चुनाव आयोग से कई अफसरों की शिकायत की गई है. कहा गया है कि ये वोटिंग को प्रभावित करने में जुटे हैं. वोटरों को पर्ची के साथ बीजेपी की चिट्ठी देने का आरोप लगाया गया है. अखिलेश यादव ने कहा कि जिनकी मौत हो गई है उनके भी वोट डलवाए जा रहे हैं.
सीएम योगी और अखिलेश के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बनी मिल्कीपुर सीट
मिल्कीपुर चुनाव योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है. योगी हर हाल में फैजाबाद की हार का बदला लेना चाहते हैं. समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हरा दिया था. इसी फैजाबाद लोकसभा सीट में अयोध्या है. पिछले साल 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन हुआ था. बीजेपी ने इसी उत्साह में चार सौ पार का नारा दिया पर पार्टी फैजाबाद की सीट तक नहीं बचा पाई. अखिलेश यादव ने इस जनरल सीट पर दलित नेता अवधेश प्रसाद को टिकट दिया. वे PDA मतलब पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वोट के दम पर चुनाव जीत गए.
सीट से जुड़ा है बड़ा राजनैतिक संकेत
मिल्कीपुर सुरक्षित सीट है. इस उप चुनाव का एक बड़ा राजनैतिक संकेत भी जुड़ा है. अखिलेश यादव खुद कह चुके हैं कि ये देश का चुनाव है. इस चुनाव से तय होगा कि यूपी का दलित अब किधर जाने वाला है. मायावती और उनकी पार्टी बीएसपी लगातार कमजोर हो रही है. बीते लोकसभा चुनाव से ये नैरेटिव बना कि समाजवादी पार्टी की तरफ दलितों का झुकाव बढ़ा है. बीजेपी कहती है कि संविधान बचाने के नाम पर इंडिया गठबंधन ने दलितों को धोखा दिया. मिल्कीपुर का चुनाव तय करेगा कि यूपी के दलित वोटरों के मन में क्या है.
हमेशा से बीजेपी के लिए कठिन रही है मिल्कीपुर सीट
मिल्कीपुर सीट हमेशा से बीजेपी के लिए कठिन रही है. राम मंदिर का मुद्दा यहां नहीं चलता है. इसीलिए बीजेपी हिंदुत्व के साथ साथ सामाजिक समीकरण के भरोसे है. बीजेपी ने हर वोटर तक पहुंचने की कोशिश की है. अलग अलग जाति के चालीस विधायकों की टीम लगाई गई थी. बीजेपी ने अपने बूथों को तीन कैटेगरी में बांट रखा है. सबसे मज़बूत को ए कैटेगरी बनाया गया है. जिन बूथों पर पार्टी को कम वोट से बढ़त मिली थी, वो बी कैटेगरी में हैं. बीजेपी जिन बूथ पर हार गई थी उसे सी श्रेणी में रखा गया है. इस बार बीजेपी का फोकस बी और सी कैटेगरी पर है.
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